कभी किसी दिन / someday or one day
कई सालों बाद, जब तुम अपनी यादों को टटोलोगे, उसकी गहराई में जाओगे, बिना किसी वजह, यूँ ही एक दिन, तब तुम एक एहसास पाओगे, उसकी याद का एहसास। और उस वक़्त एक सवाल होगा दिल में: क्या वोभी तुम्हें याद करता होगा? ज़िंदगी कुछ ऐसी ही है। आज तुम जिसे भूल गए हो, वो कल, कभी, या किसी दिन तुम्हें ज़रूर याद आएगा। और जो तुम्हें भूल गए हैं, वो तुम्हें कभी, किसी दिन, यूँ ही आँगन में बैठे या दफ़्तर से लौटते समय, या किसीको अपनी जिंदगी की कहानी सुनाते हुए या शाम में आसमान को निहारते हुए, यूँ ही कभी तुम्हे याद करेंगे। तब वो भी यही सवाल लिए सोच में डूबे होंगे: क्या वोभी मुझे याद करती होगी? क्या वो वोभी मुझे याद करता होगा? After some years, one day you will dive into your memories, exploring their depths for no particular reason, just out of the blue. You will find a feeling, a trace of someone’s memory. At that moment, a question will arise in your heart, and you'll wonder if they too think of you. Life is just like this. The people you have forgotten today will come to your mind tomorrow, someday, for no...